...

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तेरे लिए
दुनिया के इस छोर से उस छोर मैं चला।
तेरे हिस्से का वक़्त तुझे अर्पण कर मैं चला।

दुनिया पहेली और जीवन माटी हो चला।
नाज़ था ज़िस्म पर वही ज़िस्म द़गा दे चला।

बुढ़ापे की...