...

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मुझे पढ़िये....... 💞
मुझे पढ़िये..... 💞

चल रहे है अविरल कदम अभी
फिर एक रोज़ थम जाएगा ये सफर मेरा

देखना उस दिन,

मैं समन्दर न सही,
लेकिन कोई दरिया जरूर बन जाऊँगा,

मेरा निज अनुभव होगा जो बहता रहेगा
तू बहने दे खुद को ये कहता रहेगा

देखना उस दिन,

मुझे पाकर तुम पा लोगे उसे
मैं वो मंजिल न सही
लेकिन वो ज़रिया जरूर बन जाऊँगा।

चेतन घणावत स.मा.
साखी साहित्यिक मंच, राजस्थान
© Mchet043