...

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!...खामोशियां दरमियां हमारे...!
हम्म!
क्या?
कुछ नहीं
कुछ तो है
हां है तो
फिर
कुछ नहीं

क्या बात है-खामोश क्यूं हो कुछ तो बोलो

अभी तो शाम है अंधेरा होना बाकी है
जैसे किसी बूंद को समुद्र होना बाकी है

मतलब क्या है?
मतलब-कुछ भी तो नहीं।
आओ मेरे पास आओ
समझाता हूं वो बात जो हवा में तो फैली है
मगर न जाने क्यूं तुम तक नहीं पहुंची!

अच्छा
हम्म!

तो अब पहुंचा दो, हवाओं को मोड़ दो
हंसी आ रही है तुम्हारी बातों पर
सारी दिशाएं तुम्हारी तरफ है
चांद और सूरज की चमक तुम्हारी तरफ है
मेरे जज्बात तुम्हारी तरफ है
मेरी हर बात तुम्हारी तरफ है
और तुम अभी भी हवाओं पर ही हो!
तो क्या समझूं...