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भूख
आज माँ ने मेरे लिए फिर से एक रोटी बचाई है,
अपने दिल पर पत्थर रखकर बाबा को बस आधी चपाती खिलायी है।
खुद तो सिर्फ पानी वाली दाल खाकर ही अपनी भूख छुपाई है,
आज माँ ने मेरे लिए फिर से एक रोटी बचाई है।
अन्न की असली कीमत क्या होती है, ये बात गरीबी ने मुझे बतलायी है,
आज माँ ने मेरे लिए फिर से एक रोटी बचाई है।
अपनी लाचारियत पर मेरे हृदय से निकली ये दुहाई है,
या खुदा क्या तूने भूख मिटाने की कोई दवा बनाई है?
आज माँ ने मेरे लिए फिर से एक रोटी बचाई है।।
©himu
अपने दिल पर पत्थर रखकर बाबा को बस आधी चपाती खिलायी है।
खुद तो सिर्फ पानी वाली दाल खाकर ही अपनी भूख छुपाई है,
आज माँ ने मेरे लिए फिर से एक रोटी बचाई है।
अन्न की असली कीमत क्या होती है, ये बात गरीबी ने मुझे बतलायी है,
आज माँ ने मेरे लिए फिर से एक रोटी बचाई है।
अपनी लाचारियत पर मेरे हृदय से निकली ये दुहाई है,
या खुदा क्या तूने भूख मिटाने की कोई दवा बनाई है?
आज माँ ने मेरे लिए फिर से एक रोटी बचाई है।।
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