...

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फिर वही तारा मुझको ज़मीं पे दिख गया
फिर वही तारा मुझको ज़मीं पे दिख गया
जिसके लिए मेरा दीन-ओ-ईमाँ बीक गया

सुख़न में कुछ छोड़ा ही नहीं मेरे लिए
जो भी था अच्छा सब ग़ालिब लिख गया

शायद मेरी कलम की नोक...