...

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ग़ज़ल
ग़म-ए-ज़िन्दगी के हसीं जब सितम देखते हैं
कभी मुश्किलें तो कभी ख़ुद का दम देखते हैं

रह-ए-हक़ पे बेख़ौफ़ चलते रहे हम हमेशा
कहाँ हौसले झूठी राहों के ख़म देखते हैं

मुहब्बत में कैसा अजब हाल होने लगा है
नज़ारा कोई हो मगर...