चाय नुक्कड़ पर....
नुक्कड़ पर बैठ हम
ख़ुद को चाय की
चुस्कियां पिला रहे थे
न जाने वो कहाँ से आए
और हम संग बतिया रहे थे
न जान न पहचान
मगर एहसास उन्हें देख
मन ही मन मुस्कुरा रहे थे
न इश्क़ न मोहब्बत
फ़िर भी हम इतरा रहे थे
चाय भी...
ख़ुद को चाय की
चुस्कियां पिला रहे थे
न जाने वो कहाँ से आए
और हम संग बतिया रहे थे
न जान न पहचान
मगर एहसास उन्हें देख
मन ही मन मुस्कुरा रहे थे
न इश्क़ न मोहब्बत
फ़िर भी हम इतरा रहे थे
चाय भी...