...

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मां
शब्द नहीं मेरे पास कहने को
तेरे बारे में क्या कहूं मां
जितना लिखूं , उतना कम है मां

बचपन से लेकर आज तक
चलना सिखाया है तूने
सच्चे दोस्त के तरह
हर कदम साथ निभाया है तूने

मां मुझे वो दिन याद है -
जब मैं स्कूल जाया करती थी
टिफीन ले जाने से इंकार करती थी
जबरदस्ती तू मेरे हाथों में टिफिन थमा देती
नहीं खाने पर डांटने की धमकी देती
तेरा वो प्यार भी कितना प्यारा है मां
हर प्यार से ऊंचा है तेरा प्यार मां

जब कभी गमों से मेरी लड़ाई हुई
बिन बताए तूने पहचान ली
चली आती सिरहाने मेरी
सहलाने लगती, गमों से छुड़ाने लगती
तेरी गोद में कितना आराम है मां
मानो खुशियों का ज़हान है मां

गर हो जाती हमसे गलती
कुछ पल के लिए तू नाराज़ होती
समझाती बड़े प्यार से
फिर खुशी से गले लगती
सचमुच तू महान है मां

मेरी जान है तू मां
मेरी पहचान है तू मां।❤️❤️



© Bhawna kumari