ढाई अक्षर प्रेम के
जो तीखे तीखे बाण चलाते वो होते है अक्षर प्रेम के
पड़ा हु इसमें मैं समझ न पाऊं ये ढाई अक्षर प्रेम के
भेद भाव गोरी काली चमड़ी का बढ़ा व्यपार यहाँ
होते इज़हार है दिल के यहाँ पर ढाई अक्षर प्रेम से
एक योवन से बात करे और दूजे तन ढूंढे कही
खेल बनाकर भरे ये खत को ढाई अक्षर प्रेम से
तन मन को मैं हारु तुझपर वचन सारा तू मुझसे से ले ले
यही खेल हर जिस्म से खेले बोल बोलकर ढाई अक्षर प्रेम के
तारीफ करे वो हुस्न की ऐसी नापाक इरादों से अक्षर को सजाता
घूरे सबको आखों से अपने बहलाता सबको ढाई अक्षर प्रेम से
© _Ankaj Rajbhar 🥺
पड़ा हु इसमें मैं समझ न पाऊं ये ढाई अक्षर प्रेम के
भेद भाव गोरी काली चमड़ी का बढ़ा व्यपार यहाँ
होते इज़हार है दिल के यहाँ पर ढाई अक्षर प्रेम से
एक योवन से बात करे और दूजे तन ढूंढे कही
खेल बनाकर भरे ये खत को ढाई अक्षर प्रेम से
तन मन को मैं हारु तुझपर वचन सारा तू मुझसे से ले ले
यही खेल हर जिस्म से खेले बोल बोलकर ढाई अक्षर प्रेम के
तारीफ करे वो हुस्न की ऐसी नापाक इरादों से अक्षर को सजाता
घूरे सबको आखों से अपने बहलाता सबको ढाई अक्षर प्रेम से
© _Ankaj Rajbhar 🥺