...

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ऐसा भी हूँ मैं
हँसते हँसाते खुद को , कभी रो देता भी हूँ मैं
खुद से ही खुद को मिलाके ,कभी खो देता भी हूँ मैं
बुन के ख्वाहिशों की चादरे , खुद अधेड़ लेता भी हूँ मैं
समेट कर सारी खुशियां को अपने, खुद ही बिखेर देता भी हूँ
हँसते हँसाते खुद को , कभी रो देता हूं मैं.......

स्वपन देखे हैं खुली आंखों से ,उनको पूरा भी करना होगा
मंजिल तक जाना हैं तो , कंटक भरे राह से गुजरना भी होगा
कभी छू लेता हु पर्वत , कभी नीचे गिर जाता भी हूँ मैं
खा कर खुद ठोकरें, खुद सम्भलता जाता भी हूँ मैंl
हँसते हँसाते खुद को , कभी रो देता भी हूं मैं............

कि छोटी सी जिंदगी में , देखें है बहुत से रंग मैने
सुख में सब दिखे , दुखों में ना देखा कोई संग मैने
औरो के लिए अपनो का , बदलता देखा है ढंग मैने
माँ की रोटी के लिए बेटो को , करते देखा है जंग मैने
हज़ारो रिश्ते लेकिन कोई नहीं मेरा , खुद को समझता हूं मैं
हँसते हँसाते खुद को , कभी रुलाता भी हूं मैं...............

सूर्ये यहां उदय भी होगा और सब कुछ रोशन भी होगा प
जीवन की हर मुश्किलों का , अब शोषण भी होगा
कुछ देर की रोशनी यहाँ ,फिर अँधेरा भी होगा
हताश ना हो तू ,रात के बाद एक सवेरा भी होगा
सूरज जैसे ही उग कर , फिर ढलता भी हुँ मैं
हँसते हँसाते खुद को , कभी रो देता भी हुँ मैं