सूखे गुलाब
किताबों में जब भी मुझे सूखे गुलाब मिले
आंखों में मेरी फिर से हज़ारों ख़्वाब खिले
दिल का चैन रातों का सुकून खोया मैंने
ख़्वाहिश थी दिन में दीदार ए माहताब मिले
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आंखों में मेरी फिर से हज़ारों ख़्वाब खिले
दिल का चैन रातों का सुकून खोया मैंने
ख़्वाहिश थी दिन में दीदार ए माहताब मिले
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