सत्य
वह कहते है की दुनियाँ ग़लत है,
वह कहते है यह जहाँ कायरों से भरा पड़ा है,
हर जगह सिर्फ़ ज़ालिमों का साया है,
इंसानों के ऱूप में आते है हैवान नज़र,
जिन्होनें नफरत जताने में नहीं छोड़ी एक भी कसर,
जहाँ पैसों के ढ़ेर लगाने है तुम्हें ,
वह इंसानियत ख़तम होती नज़र आती है हमें, जानवर से ज़्यादा इंसान को इंसान का ख़ौफ़ है ,
ख़ुदा का इंसानो पर यह आरोप है,
जिसका हम भुगत रहें यह प्रकोप है
हा बिल्कुल.....
तुमने बिल्कुल सही समजा,
उलझते जा रहा है यह रिश्तों का मांझा,
हृदय निर्दय होने लगा है यह मैंने आज समझा.....
-Dhruvi Kantariya
वह कहते है यह जहाँ कायरों से भरा पड़ा है,
हर जगह सिर्फ़ ज़ालिमों का साया है,
इंसानों के ऱूप में आते है हैवान नज़र,
जिन्होनें नफरत जताने में नहीं छोड़ी एक भी कसर,
जहाँ पैसों के ढ़ेर लगाने है तुम्हें ,
वह इंसानियत ख़तम होती नज़र आती है हमें, जानवर से ज़्यादा इंसान को इंसान का ख़ौफ़ है ,
ख़ुदा का इंसानो पर यह आरोप है,
जिसका हम भुगत रहें यह प्रकोप है
हा बिल्कुल.....
तुमने बिल्कुल सही समजा,
उलझते जा रहा है यह रिश्तों का मांझा,
हृदय निर्दय होने लगा है यह मैंने आज समझा.....
-Dhruvi Kantariya