...

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डर लगता है.....
आज कल ऐसा माहौल बन गया है कि एक लड़की की सुरक्षा भी खतरे में है।मेरी कुछ पंक्तियां इसी विषय पर है कि एक लड़की के मन मे कितना डर
बस चुका है.............


काली रात्रि, अंधेरों से डर लगता है।
ये अंधेरा मेरे मन के उजालों को हरता है।
जिन गलियों में बचपन था बिता,
उन गलियों में भी अब डर लगता है।
बचपन में हर आहट पिता की लगाती थी,
पर अब तो आहटो से भी डर लगता है।


-@Kavyaprahar
© Kavyaprahar