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ज़िंदगी की कश्ती
#ज़िंदगी की कश्ती
ज़िंदगी की कश्ती खड़ी है मझदार में
दूर कहीं किनारा है,
मुसाफिर असमंजस में है कैसे अब
उस पार जाना है,
कोशिशों का मंज़र है जारी अभी
कहाँ हार मानी है,
मुसाफिर ने अब ये ठानी है
कश्ती अब ये उस पार लगानी है,
कह रहा मुसाफिर चुनौतियों से अब
करूंगा डटकर सामना और हिम्मत से अब,
यूं हार नही मानूँगा मैं लडूंगा और
आगे बढ़ता जाऊंगा,
बढ़कर आगे अपनी ज़िंदगी की कश्ती
उस पार किनारे लगाऊंगा।।।
© $@√¡