ऐ रब
ऐ रब,
तेरा घर हैं तेरा मस्जिद
चैन,सुकून,राहत
हैं अखीरत का मंजिल।
तेरे घर में तो मुझे तु मिला हैं,
ये तो तुझे भी पता
मुझको क्या मिला हैं,
मुझे लगा तु मेरे और
में तेरा क़रीब।
ऐ रब,,,
मुझे कबूल कर मसरूफियत में
तेरा ज़िक्र में सदा मशगूल रहूं
और...
तेरा घर हैं तेरा मस्जिद
चैन,सुकून,राहत
हैं अखीरत का मंजिल।
तेरे घर में तो मुझे तु मिला हैं,
ये तो तुझे भी पता
मुझको क्या मिला हैं,
मुझे लगा तु मेरे और
में तेरा क़रीब।
ऐ रब,,,
मुझे कबूल कर मसरूफियत में
तेरा ज़िक्र में सदा मशगूल रहूं
और...