...

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तुम्हारा वो यूँ रूठ के जाना
उस रोज तुम जो रूठ के चली गई,
मानों हमारी खुसियाँ ही हमसे छुट गई
.
माना हमने कई गलतियाँ दोहराई थी,
पर सिर्फ बदले मे तुम्हारीं एक मुस्कान ही चाही थी
.
उस गलती की इतनी बड़ी सजा हमे ना दो,
आखिर सच्चा प्यार चाहा था तुमसे और मुस्कान की एक झलक पाने को
.
गलती भी क्या थी हमारी के बस पूछा था हमने के बेवफाई की बजह क्या है,
किस चीज़ मे हम खरे नहीं उतरे.... आखिर हमारी खता क्या है
.
वो तुम ही तो थी जिसने हमे बदलना चाहा था,
हमें... हमारे वजूद को मिटाना चाहा था
.
तुम्हारे प्यार में हमने हमको हम-ही से दूर कर दिया था,
हमारी हर एक जीने की बजह सिर्फ तुम्हें बनाया था
.
चाहे बजह कोई भी हो...
बस एक दफा केहदो हमसे के तुमने हमे कभी चाहा ही नहीं,
अपने दिल मे हमें तुमने कभी उतारा ही नहीं
.
आज भी हम तरसते है तुम्हारी उन झूठी मीठी बातें सुनने को,
आज भी धड़कता है ये दिल फिर से तुम्हारा होने को
.
पर अफसोस मेरी उस गलती के खातिर तुम रूठ कर चली गई,
अब ना लौट के आओगी तुम...
ना वो खुशीयां
और ना ही हमारी ये आँखरी साँसें...

© Harshhh