ख़्याल
ख़्याल तो ख़्याल हैं
ख़्याल सब झूठ हैं
फिर भी ख़्याल तेरे भाते हैं
ख़्यालों में तेरे जीते...
ख़्याल सब झूठ हैं
फिर भी ख़्याल तेरे भाते हैं
ख़्यालों में तेरे जीते...