दिल अधूरा है...
शायद उस दिन मैंने जाना था,
सच्ची दोस्ती को पहचाना था,
उस दिन तुममें अकल थोड़ी कम लगी थी,
फिर भी आत्मीयता तुम्ही से जगी थी।
वह एक मन जो उदास था,
अंदर से उदासीनता का दास था,
उसकी तुम्ही ही एक आस थी,
शायद उसकी बेचैनी तुम्हारे पास थी।
फिर किए साथ में हमनें कितने सारे काम, यकीन हो गया मुझे यह दोस्ती अब नहीं रही आम,...
सच्ची दोस्ती को पहचाना था,
उस दिन तुममें अकल थोड़ी कम लगी थी,
फिर भी आत्मीयता तुम्ही से जगी थी।
वह एक मन जो उदास था,
अंदर से उदासीनता का दास था,
उसकी तुम्ही ही एक आस थी,
शायद उसकी बेचैनी तुम्हारे पास थी।
फिर किए साथ में हमनें कितने सारे काम, यकीन हो गया मुझे यह दोस्ती अब नहीं रही आम,...