...

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"घड़ी की सुइयां चलती रहने दो"
आज मैं आसमां के आगोश में हूं
तन्हा नहीं, बादलों के सैर पे हूं
न किसी की तलाश है, न ये मन है हताश
न चुभ रहा कुछ मन को, न हूं मैं उदास
न कुछ पाने की है आस, न कोई फरियाद।

ठंडी_ ठंडी सी हवा है मेरे आस_ पास
चुप हूं, शायद कहने को नहीं है कुछ खास
अरे! इन बादलों के बीच एक तारा नजर आया
लो खो गया कहीं, बादलों से ढका ये आसमां सारा।

एक पंक्षी पंख फैलाए उड़ा जा रहा है...