...

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तो क्या तुम मानोगे?
अगर मैं कहूँ, आज भी बस तेरा ही इंतजार है, तो क्या तुम मानोगे..
हाँ बहुत देर करदी शायद, पर तुम ने तो कहा था,कभी भी चले आना,
वो सब याद है मुझे, तो क्या तुम मानोगे,,

अगर मैं कहूँ, गुनाह जरूर हुआ है, पर हर सजा मंजुर है मुझे, तो क्या तुम मानोगे,,

अगर मैं कहूँ, बहुत ढूंढ लिया तुझे औरों मे, पर चाहिए बस तू ही, तो क्या तुम मानोगे,,

यूँ तो सहन नहीं किसी की एक भी बात,
पर तेरी बेरुखी बर्दाश्त है मुझे,
तो क्या तुम मानोगे, ©सृष्टि

तुझसे बात करने के बहाने ढूँढने लगी हूं मैं,
क्यूंकि शायद तू बेवजह बात नहीं करेगा, तो क्या तुम मानोगे,,

सब के लिए पत्थर सी हूं, बस तेरे आगे पिघल सी जाती हूँ,
तेरी नफरत में भी प्यार ढूँढती हूं मैं,
तो क्या तुम मानोगे,,

माना बहुत खामियां है मुझमे,
पर बनने को तयार हूं जैसे पहली बार मिली थी तुझसे, तो क्या तुम मानोगे,

बोलना कुछ भी नहीं चाहती,
बस तुझे सुनना चाहती हूं,
क्यूंकि शायद मैं कह भी लूँ, तो क्या तुम मानोगे?