...

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दिल के ग़म
तुझे पाने में लगा वक़्त,
खो दिया दो पल में,
तेरे साथ जो चलती थी,
अब वो साँसे उलझन में।
बाद तेरे न कोई सफ़र में
हमको हम सफ़र मिला,
तन्हाई आकर बैठ गई
तन-मन और ज़हन में।
न दिन गुजरें अब और
न अब जाए गुजारी शाम,
खो गया मैं बस अब
बेसुधियों के वन में।
सब अब शून्य शून्य है
सबकुछ ख़ाली ख़ाली है,
अब कुछ भी नही है जीवन मे
अब कुछ भी नही है जीवन में।

शायर हूँ मैं
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