Prem
प्रेम इस तरह किया जाए
कि प्रेम शब्द का कभी ज़िक्र तक न हो
चूमा इस तरह जाए
कि होंठ हमेशा ग़फ़लत में रहें
तुमने चूमा
या मेरे ही निचले होंठ ने औचक ऊपरी को छू लिया
छुआ इस तरह जाए
कि मीलों दूर तुम्हारी त्वचा पर
हरे-हरे सपने उग आएँ
तुम्हारी देह...
कि प्रेम शब्द का कभी ज़िक्र तक न हो
चूमा इस तरह जाए
कि होंठ हमेशा ग़फ़लत में रहें
तुमने चूमा
या मेरे ही निचले होंठ ने औचक ऊपरी को छू लिया
छुआ इस तरह जाए
कि मीलों दूर तुम्हारी त्वचा पर
हरे-हरे सपने उग आएँ
तुम्हारी देह...