...

20 views

खाक हो गए है हमें राख मत बनाओ
जब कोई किसी अपने को खोता है
फिर कहा वो कभी चैन से सोता है
दिन हो या रात वो रोता है बार बार

काश वो रब भी समझ पाता
इंसान क्या खोता क्या पाता

हर रोज़ भीख मांगी थी उस रब से
दे दे मुझे एक मौका
फिर भी मिला ये धोका

मुझे करनी थी उनकी सेवा
देखनी थी उनकी मुस्कान
पर कुछ भी नही था आसान

हालात ने मुझे लाचार बना दिया था
कसमों ने मुझे उलझा दिया था
ज़िंदगी की कशमकश में मैं सब भूल गई
एक बहन के हाथो भाई की कलाई की राखी छूट गई
जिन्हें गले लगाके सोचा था सारा दर्द भूल जाएंगी
तब मेरे आंसू बयान करेंगे मेरा प्यार ओर मै चुप चाप उनसे मिल पायूंगी
वहा वक्त का खेल कुछ ऐसा रचा था...