शरहद पे मैं रहता हूँ ,फौजी मैं कहलाता हूँ ।
शरहद पे मैं रहता हूँ ,फौजी मैं कहलाता हूँ ।
हसते हसते सब कुछ सह जाता हूँ ,
साहेब की तारीफ, बीबी का प्यार,
कभी-कभी मैं पाता हूँ ॥
शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ -२
ग्लेशियर की हो ठंड या फिर जैसलमेर की तपती दोपहरी ,
अपने देश की मिट्टी के लिए मैं रहता हूँ मर मिटने को हरपल रेड्डी ॥
जी साहेब शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ ।
कभी-कभी मैं गॉव भी हो आता हूँ ।
घर जाकर मैं दादी और माँ के आँचल में सो जाता हूँ ।
जी साहेब कभी -कभी मैं भी गॉव हो आता हूँ ।
अपने बगीचे मैं झूला भी झूल आता हूँ ।
माँ की प्यार भरी थाली भी खा आता हूँ ।
अपनी प्राणप्रिये को भी रोते हुए छोड़ आता हूँ ॥
क्योंकि शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ ।
शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ ।
विडंबना है इस देश की कभी -कभी मैं पागल भी कहलाता हूँ ।
इस टाइटल को भी मैं हसते हसते अपनाता हुँ ,
फिर एक दिन मैं सीने पर गोली खाता हूँ ।
मैं देश प्रेम मे पागल हसते - हसते ये भी कर जाता हूँ ॥
शरहद पे मैं रहता हूँ ,फौजी मैं कहलाता हूँ
शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ
शरहद पे मैं रहता हूँ , फौजी मैं कहलाता हूँ ॥।॥
***
सिद्धार्थ_के_अल्फ़ाज़
#सिद्धार्थ_के_अल्फ़ाज़ #kavita #desh_ke_veer_jawan
@Siddharth_ke_alfaz
© Siddharth_ke_alfaz
हसते हसते सब कुछ सह जाता हूँ ,
साहेब की तारीफ, बीबी का प्यार,
कभी-कभी मैं पाता हूँ ॥
शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ -२
ग्लेशियर की हो ठंड या फिर जैसलमेर की तपती दोपहरी ,
अपने देश की मिट्टी के लिए मैं रहता हूँ मर मिटने को हरपल रेड्डी ॥
जी साहेब शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ ।
कभी-कभी मैं गॉव भी हो आता हूँ ।
घर जाकर मैं दादी और माँ के आँचल में सो जाता हूँ ।
जी साहेब कभी -कभी मैं भी गॉव हो आता हूँ ।
अपने बगीचे मैं झूला भी झूल आता हूँ ।
माँ की प्यार भरी थाली भी खा आता हूँ ।
अपनी प्राणप्रिये को भी रोते हुए छोड़ आता हूँ ॥
क्योंकि शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ ।
शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ ।
विडंबना है इस देश की कभी -कभी मैं पागल भी कहलाता हूँ ।
इस टाइटल को भी मैं हसते हसते अपनाता हुँ ,
फिर एक दिन मैं सीने पर गोली खाता हूँ ।
मैं देश प्रेम मे पागल हसते - हसते ये भी कर जाता हूँ ॥
शरहद पे मैं रहता हूँ ,फौजी मैं कहलाता हूँ
शरहद पे मैं रहता हूँ, फौजी मैं कहलाता हूँ
शरहद पे मैं रहता हूँ , फौजी मैं कहलाता हूँ ॥।॥
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