...

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चलना सीख लो।
हर बार गिरना ठीक है लेकिन सम्हलना सीख लो,
रास्ते पथरीले है पर तुम इनपे चलना सीख लो,
आएंगे झूठी दिलासाएं अब तो चारो और से,
पर मिज़िलें जिस और हैं उस ओर बढ़ना सीख लो।

ढल चुकी ये शाम की अब छा रहा अँधेरा है,
पर बढ़ता जा रुकना नहीं कल एक नया सवेरा है,
लोग तो पत्थर है इनसे तुम निपटना सीख लो,
रास्ते पथरीले है पर तुम इनपे चलना सीख लो।

बढ़ रही है भीड़ पर अब बुझ रहा ये मशाल है,
तुम्हे चाहिए क्या ज़िन्दगी से,उठता यही सवाल है,
शाम की धुंधली किरण से तुम निखरना सीख लो,
रास्ते पथरीले है पर तुम इनपे चलना सीख लो।
© KM