...

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पलकों पे ख्वाब सजाकर इबादत करूँ
पलकों पे ख्वाब सजाकर इबादत करूँ
कुछ को कामिल तो कुछ की चाहत करूँ

तुमसे मोहब्बत को दो पल मिली है मुझे
खुदा का शुक्र या तुझसे मोहब्बत करूँ

कितने गुजारे है शाम मैंने बिना तेरे
तू मिले कभी तो तुझसे शिकायत करूँ

कुरबतों का वो दौर अब थम सा गया है
मेरे मेहबूब मैं अब किससे मोहब्बत करूँ

पलकों पे ख्वाब सजाकर इबादत करूँ
कुछ को कामिल तो कुछ की चाहत करूँ
© Roshan Rajveer