पलकों पे ख्वाब सजाकर इबादत करूँ
पलकों पे ख्वाब सजाकर इबादत करूँ
कुछ को कामिल तो कुछ की चाहत करूँ
तुमसे मोहब्बत को दो पल मिली है मुझे
खुदा का शुक्र या तुझसे मोहब्बत करूँ
कितने गुजारे है शाम मैंने बिना तेरे
तू मिले कभी तो तुझसे शिकायत करूँ
कुरबतों का वो दौर अब थम सा गया है
मेरे मेहबूब मैं अब किससे मोहब्बत करूँ
पलकों पे ख्वाब सजाकर इबादत करूँ
कुछ को कामिल तो कुछ की चाहत करूँ
© Roshan Rajveer
कुछ को कामिल तो कुछ की चाहत करूँ
तुमसे मोहब्बत को दो पल मिली है मुझे
खुदा का शुक्र या तुझसे मोहब्बत करूँ
कितने गुजारे है शाम मैंने बिना तेरे
तू मिले कभी तो तुझसे शिकायत करूँ
कुरबतों का वो दौर अब थम सा गया है
मेरे मेहबूब मैं अब किससे मोहब्बत करूँ
पलकों पे ख्वाब सजाकर इबादत करूँ
कुछ को कामिल तो कुछ की चाहत करूँ
© Roshan Rajveer