सपनों की दूनिया मैं..
मन मे लेकर एक छोटी सी आशा
आज बाहर निकल रही हू मै,
पता नही सफल हो पाऊंगी या नही
लेकिन सपने देखना सिख रही हूं मै।
सही या गलत का पता नही,
अपने ही काम मै उलझी हू मै,
कुछ पाने की चाहत मै,कुछ खोने के डर से,
अपने आप को कोस रही हू मै,
लेकिन सपने देखना सिख रही हूं मै।
समाज कि अच्छाई तथा बुराई योंको
पहचान रही हूं मै,
गलतिया करकर सुधारणेकी कोशिश
कर रही हूं मै,
लेकिन सपने देखना सिख रही हूं मै।
सिखना अब बस हुआ,मैने बहुत सिख लिया
अब वक्त है,उसे आजमाने का,
अपने आप को,साबित करके दिखाने का
ऊठके अब काम करने लगी हूं
अपने सपने पुरे मै अब करना सिख गयी हूं।।
आज बाहर निकल रही हू मै,
पता नही सफल हो पाऊंगी या नही
लेकिन सपने देखना सिख रही हूं मै।
सही या गलत का पता नही,
अपने ही काम मै उलझी हू मै,
कुछ पाने की चाहत मै,कुछ खोने के डर से,
अपने आप को कोस रही हू मै,
लेकिन सपने देखना सिख रही हूं मै।
समाज कि अच्छाई तथा बुराई योंको
पहचान रही हूं मै,
गलतिया करकर सुधारणेकी कोशिश
कर रही हूं मै,
लेकिन सपने देखना सिख रही हूं मै।
सिखना अब बस हुआ,मैने बहुत सिख लिया
अब वक्त है,उसे आजमाने का,
अपने आप को,साबित करके दिखाने का
ऊठके अब काम करने लगी हूं
अपने सपने पुरे मै अब करना सिख गयी हूं।।