...

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हारे हुए इंसान में भी दिखता है...
कभी इकरार में होता है,
कभी इनकार में होता है
ये तो 'समझौता' है यारों,
ये जिंदगी के बाजार में बिकता है

कहीं गुमान में दिखता है,
कहीं सम्मान में दिखता है
कहीं अरमानों के टूटे हुए
मकान में दिखता है
ये तो 'समझौता' है यारों, जज्बातों
के...