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चंडीगढ़ में संविधान का ख़ून हो गया...
चंडीगढ़ में संविधान का ख़ून हो गया।
अंधा बहरा गूंगा यहाँ कानून हो गया।
शाम दाम दंड भेद कैसे भी सत्ता मिले,
राजा के सिर पे सवार जूनून हो गया।।
मुट्ठी भर लोगों ने ही किया था मतदान,
ईवीएम में जाके ऊन का दून हो गया।।
सत्ता के खिलाफ़ था ख़त लिफाफे में,
राजा के हक़ में कैसे मज़मून हो गया।।
ज़म्हूरियत जख़्मी हुई इंक़लाब चाहिए,
खंज़र से तेज़ सत्ता का नाख़ून हो गया।।
जो नहाये पापी "सिफ़र" साफ़ हो जाये,
गंगाजल ये कमल छाप साबुन हो गया।।
-संजय सिफ़र
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© संजय सिफ़र