...

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शिक़ायत नही है
तू मिला नहीं इस बात का मुझको,
अब कोई ज़िंदगी से शिक़ायत नही है।

किसने कहा, के जुदाई के बाद भी,
होती कभी और मोहब्बत नहीं है।

इश्क़ के इतिहास को पलटकर देख,
मिलन से तो ये अकारथ बनी है।

जहां भी इश्क़ वाले हो गए है जुदा,
मोहब्बत बन गई इबादत वहीं है।

जबसे ख़ुदा बनकर मोहब्बत रूह में बसी है,
तबसे अल्फ़ाज़ें इसकी इनायत बनी है।
©हेमा
अकारत: बेकार