दीवानी मैं दीवानी
तुम क्या लगते हो मेरे , मुझे पता नही
पर तुम्हारे लिए क्यों बैचेन हूं , मुझे पता नहीं।
मैं तुम पे मर के तुम्हारे इश्क में जीना चाहती हूं।
मैं गले से लग के तुम्हारी रूह में उतरना चाहती हूं।
अपने हाथों में इश्क की एक लकीर जोड़ना चाहती हूं।
कोई हमे जुदा ना करे बस खुदा से यही...
पर तुम्हारे लिए क्यों बैचेन हूं , मुझे पता नहीं।
मैं तुम पे मर के तुम्हारे इश्क में जीना चाहती हूं।
मैं गले से लग के तुम्हारी रूह में उतरना चाहती हूं।
अपने हाथों में इश्क की एक लकीर जोड़ना चाहती हूं।
कोई हमे जुदा ना करे बस खुदा से यही...