हम खुद को बुला कर लाते हैं...
आप कभी जब हम से,
मिलने भी आ जाते हैं।
हम भी खुद को कहीं से,
जबरन बुला कर लाते हैं।
पराए कंधों पर ही जाती हैं,
सब अर्थियाँ श्मशानों तक।
रिवाज़ है सो अपनी अर्थी,
हम खुद ही उठा ले जाते हैं।
तुम मेरा हक हो ही नहीं,
इतना तो जान चुके हैं सो,
हम तेरे दयार से तन की,
गठरी उठा कर जाते हैं।
तुम...
मिलने भी आ जाते हैं।
हम भी खुद को कहीं से,
जबरन बुला कर लाते हैं।
पराए कंधों पर ही जाती हैं,
सब अर्थियाँ श्मशानों तक।
रिवाज़ है सो अपनी अर्थी,
हम खुद ही उठा ले जाते हैं।
तुम मेरा हक हो ही नहीं,
इतना तो जान चुके हैं सो,
हम तेरे दयार से तन की,
गठरी उठा कर जाते हैं।
तुम...