वो और वो
जो उनसे बात हो जाती है
सर्दी में जैसे शाम हो जाती है
कैसे बयाँ करू जज्बात अपने
बातें जैसे सारी आम हो जाती है
अब हर तरफ वो नज़र आते है
नींदे अब हराम हो जाती है
और क्या लिखूँ उनके लिए
हर सोच अब उनपर ही तमाम हो जाती है
© @mrblank00
सर्दी में जैसे शाम हो जाती है
कैसे बयाँ करू जज्बात अपने
बातें जैसे सारी आम हो जाती है
अब हर तरफ वो नज़र आते है
नींदे अब हराम हो जाती है
और क्या लिखूँ उनके लिए
हर सोच अब उनपर ही तमाम हो जाती है
© @mrblank00