...

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कांपते हाथ
कांपते हाथ मेरे,
बिलखती आंसूओ की बौछारें,
दिल खाली खामोशी में डूबा,
दिमाग सवालों के मजबूत घेरे बना बैठा।

कल से भागू मैं तो,
कल की चिंता मैं पडू,
कल-कल करतें करतें,
आज की रात आखिरी हो जैसें,
आज की तलाश में निकल जाऊ मैं।

रातों को कांपते हाथ मेरे,
कहीं भीच दे ना मेरा गला,
बिस्तर पर करवटों की सिकुड़न,
तकियों का सुबह तक गीला रहना,
कहीं खत्म ना करदें।

खुद हीं को मेरे,
इस बात से हार...