नए साँचे में ढल गया....
वादे पे उसके ऐतबार किया वो बदल गया
रहबर समझते रहे जिसे रहज़न निकल गया
रंग-रूप बदल लेना किसी मोजज़े से कम नहीं
हर मौक़ा को ताड़कर नए साँचे में ढल गया
ऐसा...
रहबर समझते रहे जिसे रहज़न निकल गया
रंग-रूप बदल लेना किसी मोजज़े से कम नहीं
हर मौक़ा को ताड़कर नए साँचे में ढल गया
ऐसा...