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अकेले क्यों ?
कल भी अकेले थे
आज भी अकेले हैं
तो फ़िर क्यों आंखो में
अश्कों के मेले है ?
ये वादों को खेल
की ज़मी बनाकर
वो वफा का खेलें है
भरोसे को ताक पे
रखके ये खेल हमने
झेले हैं ,अब ना इस
खेल में सिखस्त
हमने सोचा है
अब न हमे किसी पे
भरोसा है,
या तो रुखसत हुएं है
वो लोग या फिर से
किसी को अपनाने
का सोचा है, वही
लोग खुश, नाखुश
जो लोग अकेले हैं।
-अन्वित कुमार
#alone #sad #kmunitiapp
© Anvit Kumar
आज भी अकेले हैं
तो फ़िर क्यों आंखो में
अश्कों के मेले है ?
ये वादों को खेल
की ज़मी बनाकर
वो वफा का खेलें है
भरोसे को ताक पे
रखके ये खेल हमने
झेले हैं ,अब ना इस
खेल में सिखस्त
हमने सोचा है
अब न हमे किसी पे
भरोसा है,
या तो रुखसत हुएं है
वो लोग या फिर से
किसी को अपनाने
का सोचा है, वही
लोग खुश, नाखुश
जो लोग अकेले हैं।
-अन्वित कुमार
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