अकेले क्यों ?
कल भी अकेले थे
आज भी अकेले हैं
तो फ़िर क्यों आंखो में
अश्कों के मेले है ?
ये वादों को खेल
की ज़मी बनाकर
वो वफा का खेलें है
भरोसे को ताक पे...
आज भी अकेले हैं
तो फ़िर क्यों आंखो में
अश्कों के मेले है ?
ये वादों को खेल
की ज़मी बनाकर
वो वफा का खेलें है
भरोसे को ताक पे...