...

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मुकाबला
धधकती है अंतर में वह
व्याकुल बहुत है
प्रस्फुटित होने को
उद्गारों को दे सके रंग अपनी बहारों का..

वह कालिख इकट्ठी हो गई बहुत
चाहती है राह कोई बहने...