...

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सुंदरता होती है आंखों में....
सुंदरता है इन आंखों में पर कोई भाता नही ,
अपने अपने से लगते हैं पर कोई नाता नहीं ...

अपने बन जाते हैं पराए पराए बन जाते अपने ,
आंखें खोलो तो अंधेरा आंखे मूंदों तो सपने ...
इक वहम ज़िंदगी का कभी जाता नहीं,
कि सुन्दरता होती जब आंखों में फिर क्यूं कोई भाता नही ...

आंखों की अपनी होती इक कहानी है ,
खुश होते हैं या रोते हैं तो इनमें आता पानी है...
जो भी बातें लब से कोई बोल पाता नहीं ,
कि आंखें होती है वो आईना जो कभी झुठलाता नहीं...

मन में लाख सवाल है उठते और मन में ही रह जाते ,
मन की बातों को मन में रखकर हम अक्सर पछताते ...
कि कोई लाख छिपाए मन में वो छिप पाता नहीं ,
आंखें कह देती हैं वो सब जो मन भी कह पाता नहीं...


© Jaya Tripathi