ये बारिश की बूंदें
महीना ये सावन,
लगे बड़ा मनभावन
संग बारिश की बूंदें
बस एक तुझे ही ढूंढे
इन यादों के सहारे
बूंदें संग बाहारें,
और ठंडी हवाओं का जोश
कर देता हैं मुझे मदहोश,
बस यही करती हूं गुजारिश
जब भी होती है ये बारिश,
कि साथ तेरा मैं पाऊं फिर,
इस नहीं तो अगले जन्म ही मिल
तब तक इन बूंदों को देख,
कर उनसे तेरा यूं उल्लेख
मैं बिता रही इन बरसातों को,
जैसे बिन तारों की रातें हो ।
Smriti Trivedy
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