...

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शायद तुम आओगी !🥀💔.....
हर दिन साथ हैं महज परछाइयां मेरी
हर रात जिक्र करती हैं तुम्हारा तन्हाइयां सभी
तुम्हारा नाम कोई पुकारे तो मैं खिल उठता हूं
कहीं तुम तो नहीं इसलिए देख ही लेता हूं,

जब नहीं मिलती तुम तो एक बात याद आती है
वो बात जो मुझे हर बार तोड़ जाती है,
होठ खामोश होते हैं मगर आंखें सब कहती हैं,
वो मेरे सिरहाने की तकिया हर रोज गीली होती है....

फिर एक नई सुबह होती है फिर वही सवाल आता है
सारी रात झकझोरने ने के बाद फिर तेरा ख्याल आता है
फिर कुछ हसीन यादों को तेरी चाहत ले आती है
एक आस सी दिखती है और ये उम्मीद नज़र आती है‌
की
शायद तुम आओगी !