ओ जिंदगी कितना सताते हो तुम।
#darklife
आते है दुनिया में
मुस्किले झेलने,
झेलते हुए है जाते हम
ओ जिंदगी कितने,
सताते हो तुम।
आए तो है इस दुनिया में
लेकिन धोका खाने को तैयार नहीं है हम,
फिर भी अपनो से रोज खाते रहते है
break first में Dinner में हम,
ओ जिंदगी कितना सताते हो तुम।
छोटे से गांव से आए थे हम
फिर भी लोगो के छोटी सोच से,
ना बच पाए हम
लोगो को समझाते हुए हम,
थक गए थे बिल्कुल
ना समझ को कोन समझाए,
भगवान नही है हम
ओ जिंदगी कितना सताते हो तुम।
मिट्टी के इंसान है
विदेश भेज दिया,
जान न पहचान
जहा भी रह लिया,
लोगो के कड़वी बातें सुनी
लोगो के हाथो जुल्म सहा,
फिर भी इज्जत ना ही मिल पाया वहा
क्या सोचे थे क्या हो गया,
होना भी क्या था रंग की बात थी
मिट्टी के इंसान को विदेश भेजेंगे तो,
क्या ही होगा, अपने मर्जी के खिलाफ हमे
दूर भेज दिया,
फिर जो होना था अपने साथ हुआ
उन्हें क्या था तमसा देखना था,
एक बार ना सोचे थे बो
कितनी तकलीफ सहे होंगे हमने,
कितने अंगारों पे जिसम था हमारा
कितना दर्द सहे थे हम,
ओ जिंदगी कितना सताते हो तुम।
© Nabendu writer
आते है दुनिया में
मुस्किले झेलने,
झेलते हुए है जाते हम
ओ जिंदगी कितने,
सताते हो तुम।
आए तो है इस दुनिया में
लेकिन धोका खाने को तैयार नहीं है हम,
फिर भी अपनो से रोज खाते रहते है
break first में Dinner में हम,
ओ जिंदगी कितना सताते हो तुम।
छोटे से गांव से आए थे हम
फिर भी लोगो के छोटी सोच से,
ना बच पाए हम
लोगो को समझाते हुए हम,
थक गए थे बिल्कुल
ना समझ को कोन समझाए,
भगवान नही है हम
ओ जिंदगी कितना सताते हो तुम।
मिट्टी के इंसान है
विदेश भेज दिया,
जान न पहचान
जहा भी रह लिया,
लोगो के कड़वी बातें सुनी
लोगो के हाथो जुल्म सहा,
फिर भी इज्जत ना ही मिल पाया वहा
क्या सोचे थे क्या हो गया,
होना भी क्या था रंग की बात थी
मिट्टी के इंसान को विदेश भेजेंगे तो,
क्या ही होगा, अपने मर्जी के खिलाफ हमे
दूर भेज दिया,
फिर जो होना था अपने साथ हुआ
उन्हें क्या था तमसा देखना था,
एक बार ना सोचे थे बो
कितनी तकलीफ सहे होंगे हमने,
कितने अंगारों पे जिसम था हमारा
कितना दर्द सहे थे हम,
ओ जिंदगी कितना सताते हो तुम।
© Nabendu writer