...

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तकलीफ
घंटों मैं तुम्हारी कॉल का इन्तजार करती हूं
हर बार चैक करती हूं कि कहीं तुम्हारा मैसेज तो नहीं मगर तुम्हें मेरी जरा भी फिक्र नहीं
क्यूंकि तुम व्यस्त हो अपने कामों में!!

तुम्हारी फिक्र,तुम्हारा जिक्र
हर लम्हा हो तुम मेरे ख्यालों में
मगर नही हूं मैं तुम्हारे जहन में
तुम्हें एक पल भी आती नही याद मेरी
क्यूंकि तुम व्यस्त हो अपने कामों में!!

छोड़ कर आऊंगी अपना सब कुछ मैं तुम्हारे लिए
बस इतनी बात समझ आती नहीं तुम्हें
अपने गुस्से को रख कर हमेशा एक तरफ
सिर्फ तुम्हें मनाया है मैंने
फिर भी जरा सा एहसास नहीं तुम्हें
क्यूंकि तुम व्यस्त हो अपने कामों में!!

आखिर कैसे समझाऊं तुम्हें कि
कितनी होती है तकलीफ मुझे!!