नासमझ मर्द..
ऐसे कैसे मर्द कुछ होते हैं
ज़रा ज़रा सी बात पर
नाराज़गी जता कर
नाराज़ कितने होते हैं
मान मनौअल भी
हम ही करें
अभिमानी ठहरे बड़े ये
तभी तो घमंडी
अपनी ही बात पर
अड़े होते हैं
कसम, भरोसा, आस
को पहले...
ज़रा ज़रा सी बात पर
नाराज़गी जता कर
नाराज़ कितने होते हैं
मान मनौअल भी
हम ही करें
अभिमानी ठहरे बड़े ये
तभी तो घमंडी
अपनी ही बात पर
अड़े होते हैं
कसम, भरोसा, आस
को पहले...