...

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मजबूरी

झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
नंगे बदन की भी अपनी धुरी है,
एक कपड़े न पाना लाचारी है,
तुम जानो क्या क्या जरूरी है।
हाथो मे गंदा थेला लेकर बच्चें है ,
किताबो के थेले की कमिया सही है।
तुम जानो क्या क्या जरूरी है।
"संकेत "चाहत से देते है दान है,
पहले ए जानो ए वरदान या अभिशाप है,
तुम जानो क्या क्या ज़रूरी है
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