...

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अश्रु धारा
ना जाने ऐसा क्यों होता है
कपोलों से लुढ़कते हुए ,
बेवजह आंसू टपका करते है
सब कुछ होते हुए भी
जाने क्यूं ये गम में डूबे से रहते है
छलक उठते है ऐसे
जैसे कोई बारिश आने वाली हो
क्या ऐसा भी कभी होता है?
बेवजह भी कोई रोता है
पर मेरे साथ ऐसा होता है।
अक्सर अश्रु धारा बहती है।
जाने क्या ये कहती है
ना कोई चाह होती ना कोई इच्छा
फिर भी ये बहा करते है अपनी स्वेच्छा में।
© anu singh