...

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मीठी बातें
बैठे-बैठे सोची मैं भी लिख डालूँ दो-चार लेख...
कविता लिखें, कहानी लिखें या लिख दे कोई लेख,
इसी सोच मे बैठी, मैं सिर घुटना टेक....
पूछे भईया! विषय बताओ या प्रसंग जिसे,
पढ़ मजे में हो सब, ओर न हो कोई तंग
सोचे बहुत पर, लिखने को कोई चीज़ न मिली....
इसी सोच में बैठे-बैठे, शाम -रात में बदली...
इन्हीं विचारों में खोकर, एक तुक्का मार डाला...
टूटे-फूटे शब्दों में, इस कविता को लिख डाला...


#WritcoPoemChallenge
The sound of the stadium's roar,
Resonates with every four,
Down the pitch,
Over the arm,
Cricket has its own charm