...

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कुछ खास पलो की ख़ुशी मेहसूस करवाते है वो....
मुलाक़ातों में हमने उन्हें मेहसूस किया है,
शरमाता हुआ चेहरा मानो आंखों से प्यार झलकाता है।

साथ होकर भी हम शीशे से उनसे प्यार करते हैं,
निहारते हुए उनका चेहरा उन्हें अपने साथ मेहसूस करते हैं।

करीब उनके जाऊ तो डर से तिलमिला जाते हैं वो,
धड़कने तेज़ होकर पसीने की चादर ओढ़ लेते हैं वो।

कुछ इस कदर हमारे ख़यालों में रहते हैं वो,
उनकी प्यारी खुशबू से हमें महकाते हैं वो।

छू लू उन्हें प्यार से कभी तो बिछक से जाते हैं वो,
प्यारी मुस्कान छोड़ मासूमियत का चेहरा ओढ़ लेते हैं वो।

कोई गीत गाए तो हस्स कर गुलाब से बन जाते है वो,
कुछ नायब सा रिश्ता है हमारा मेहसूस करवाते हैं वो।

कुछ ही पलो के लिए साथ हमारे होते हैं वो,
कुछ खास पलो की ख़ुशी मेहसूस करवाते है वो।

कुछ खास पलो की ख़ुशी मेहसूस करवाते है वो....

© Rahul Naik⚡