...

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“खून पोंछती थी, तू नैन से"
जरूरत थी शायद,
तेरी इसलिए,,
खून पोंछती थी,
तू नैन से, इसलिए,,
अब, गिर जाते हैं,
खुद ही फर्श पर, तड़पते हुए,,
उठाना चाहती हो,
नींद से हमें, किस लिए,,
मैं पुरता हूं, हर बार,
इस नशी, दिल को,,
फिर छोड़ आता हूं, क्यूं,
नुकड्डो पे इसे, किस लिए,,
अब तू है, नहीं साथ,
फिर होठों का ख्याल, कौन रखे,,
मजबूरी थी, हमारी जानेजाना,
इसलिए तो, विष लिए....✍️
© #Kapilsaini