...

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परास्त मौन
प्रश्नों की अभिसूची के आगे
मौन कठघरे में खड़ा हो जाता है
शब्दों की निष्ठुरता से
मौन पराजित हो जाता है


शब्द निरर्थक ही हो सही
सहमति बोधक बन जाते हैं
मौन सरलता से
अपराध प्रमाणित हो जाता है


विचारहीन दुनियां में
सूझ बूझ का अभाव सा हो गया है
अनंत प्रश्नों का उत्तर प्रत्युत्तर है मौन
सर्वथा अपनी गरिमा की सीमाओं में
बंधा हुआ है



मौन विवेक की कुशलता का साक्ष्य है
मौन निर्बलता नहीं
साहस का प्रतीक है
कभी क्षमा है तो
कभी सम्मान भी महान है















© अपेक्षा