ग़ज़ल
बात को तोलता नहीं कोई
मुझसे अब बोलता नहीं कोई
क्यों शिकायत करूँ किवाड़ों से
खिड़कियाँ खोलता नहीं...
मुझसे अब बोलता नहीं कोई
क्यों शिकायत करूँ किवाड़ों से
खिड़कियाँ खोलता नहीं...